Friday, September 11, 2015

भाग्य आपकी मुट्ठी में

मैं ने कई बार कई लोगों को अपने भाग्य को दोष देते सुना है। इससे अधिक दुःख की बात क्या होगी कि एक सेहतमंद, हट्टा-कट्ठा और बुद्धिमान नौजवान, जिसके सामने उसका संपूर्ण जीवन अवसरों से भरा पड़ा है, यह कहता मिले कि- "उसके भाग्य में ही दर-दर की ठोकरें खाना और अभाव में जीवन गुजारना लिखा है"।  मतलब उसकी नजर में परिश्रम और प्रयास करना ही व्यर्थ है! परन्तु मुझे लगता है कि ऐसे लोगों की दुर्दशा का कारण उनकी यह सोच ही है। वे तो अपने भाग्य का रोना रो कर एक ही स्थान पर बैठे रह गये और दुनिया कहां निकल गई। उनका मानना ही होता है कि हालात सदा मेरे विरूद्ध रहे, मुझे कभी अवसर ही नहीं मिला कुछ करने के लिए। भला ऐसा कभी हो सकता है कि इतने विशाल विश्व में संभावनाओं की ही कमी हो! यह सबकुछ उनके बहाने है, जो अपनी सफाई के लिए दिए जाते हैं।

अब्राहम लिंकन की जीवनी हमारे जीवन-उत्कर्ष के लिए प्रेरणास्वरूप है। अभावों में जन्में और पले अब्राहम ने बचपन में एक सपना संजोया था - अमेरीका का राष्ट्रपति बनने का। जरा सोचिए की अगर वे प्रारम्भ में आई कठिनाइयों और असफलताओं को अपना भाग्य मान लेते और आगे कभी कांग्रेस, सीनेट, और उप-राष्ट्रपति का चुनाव ही न लड़ते! तो क्या वह कभी 52 साल की आयु में अमेरीका के राष्ट्रपति बन पाते। मुझे ऐसा लगता है कि अवसर और धन हमारे पास हमेंशा न सही पर लाइफ में एक बार आना प्रकृति का नियम है। हो सकता है किशोरवस्था में न आकर युवावस्था में आये पर आएगा जरूर। अब यदि कोई हाथ में आये अवसर को पहचान न सके या उसका उपयोग करके धनी बनने को तैयार न हो तो इसका दोषी वह स्वयं है। काम जो भी किसी को मलिता है वह छोटा या बड़ा नहीं होता। आरम्भ में तो कोई भी प्रयास सौ प्रतिसत सफल नहीं होता।

हजारों लड़के-लड़कियां केवल भाग्य के ही भरोसे अवसर पाने की प्रतीक्षा में बैठे रहते हैं। वे यह नहीं जानते कि अपने जिस समय की प्रतीक्षा में वे जिस अमूल्य समय को खोते जा रहे हैं वह लौटकर कभी नहीं आ सकता। अपने भाग्य के भरोसे ही वह अपने जीवन को नष्ट करते जा रहे हैं। अवसर कभी घर पर दस्तक नहीं देता, उसे तो खोजना पड़ता है। वास्तव में अवसर आपके अंदर छीपा है उसे पहचानने का प्रयास करें। भाग्य आपकी मुट्ठी में है।

जिस समय नवयुवक फैराडे प्रयोगशाला में काम करता था और विज्ञान सम्बन्धित परीक्षणों को किया करता था। तब उसने अपने मन में कहा था काश! मेरे पास एक बहुत बड़ी परीक्षण प्रयोगशाला होती। फैराडे उनमें से न था वह केवल सोचता और अपने भाग्य को कोसने लगता। उसने अद्तिीय खोजें तथा परीक्षण किये और उन्नति के पथ पर इस प्रकार अग्रसर हुआ कि सर हफेडेवी चकित रह गये। एक बार प्रसिद्ध वैज्ञानिक हफेडेवी ने उसके उस्ताद से पूछा कि आपकी सबसे उत्तम वैज्ञानिक खोज क्या है?

‘माइकल फैराडे’ - यही उनका उत्तर था।

एक और भी माइकल था माइकल एंजली। उसने एक अवसर खोज लिया और संगमरमर के टुकड़ों से डेविड की आश्चर्यजनक मूर्ति का निर्माण किया। अन्य कलाकारों के द्वारा संगमरमर के टुकड़े रद्दी में फेंक दिये गये थे उन्हें ही उठा कर माइकल एक अनमोल कलाकृति की रचना करने में सफल हुआ।

बढ़िया अवसर, प्रभावशाली मित्र, बड़ी पूंजी, उंचा कुल, किसी सिफारिश इन बातों से कोई व्यक्ति महान् नहीं बनता।

बड़ा नामवर इन्सान वही बनता है जिसके अन्दर बड़ा बनने की भावना छिपी रहती है। आप जिस अच्छे अवसर की तलाश में हैं वह आपके अन्दर छिपा है। इसे न तो किस्मत का खेल कहते हैं न ही किसी की सिफारिश या सहायता।

इसे कहते हैं कर्मठता।

आज के युवक किसी कार्य को करते समय सफलता की आशा तुरन्त कर लेते हैं, किन्तु वह अपने को बदलने और सुधारने के स्थान पर किसी भी बाधा को कोसते हुए पीछे हट जाते हैं।

जब आप यह निश्चय कर लेंगे कि कठिनाइयों का मुकाबला करना है। बाधाओं से जूझना है. तब आपको सफलता पाने में अधिक विलम्ब नहीं लगेगा। बस यही तो एक सफल और भाग्यशाली व्यक्ति का रहस्य है और रूजवेल्ट ने भी कहा है कि – ‘जो व्यक्तिी कार्य करते समय भूलें करता हैं वह अच्छा नहीं करता, किन्तु जो अपने भाग्य के भरोसे बैठा रहे और यदि भाग्य में होगा तो प्राप्त होगा अथवा कहीं शुरूआत करने पर नुकसान हो जाये ऐसा सोचने वाला व्यक्ति तुच्छ ही रह जाता है। इससे अच्छा है कि आप काम में जुट जायें।‘

No comments:

Post a Comment